देश में पिछले कुछ समय से विभिन्न राज्यों द्वारा विशेष श्रेणी दिए जाने की मांग की गई है। इसके पीछे प्रमुख कारण इस श्रेणी के राज्यों को दिए जाने वाले कुछ प्रमुख लाभ है जिसके अंतर्गत दिए जाने वाले अनुदान , उद्योगो को प्रोत्साहन, सिचाई सुविधाओ का विकास, विशेष केंद्रीय सहायता , सभी राज्यों में प्राथमिकता आदि शामिल है। सभी प्रकार के केंद्रीय सहायताओं में इन्हे 90 % तक अनुदान दिए जाते है।
इस श्रेणी में शामिल किये जाने हेतु मानदंड ( राष्ट्रीय विकास परिषद द्वारा निर्धारित )-
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चित्र स्त्रोत - द हिन्दू
इस श्रेणी में शामिल किये जाने हेतु मानदंड ( राष्ट्रीय विकास परिषद द्वारा निर्धारित )-
- पर्वतीय क्षेत्र
- जनसँख्या का कम घनत्व
- अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे राज्य
- आर्थिक पिछड़ापन
उपरोक्त आधार पर वर्तमान में ११ राज्यों को यह दर्जा प्राप्त है जिसमे जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड , सिक्किम, असाम,अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम व नागालैंड शामिल है।
2013 में बिहार के लिए विशेष श्रेणी की जरुरत के निर्धारण के लिए केंद्रीय सरकार द्वारा डॉ रघुराम राजन की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई। इस समिति ने उपरोक्त श्रेणी को खत्म करते हुए सभी को समान रखते हुए कुछ विशेष राज्यों को " अतिनिम्न विकसित " का दर्जा दिए जाने की सिफारिश की है।
चोहदवे वित्त आयोग द्वारा राज्यों का हिस्सा 42 % कर दिये जाने के पश्चात कई विशेषज्ञों द्वारा इस श्रेणी को समाप्त करने की शिफारिश की गई है।
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चित्र स्त्रोत - द हिन्दू
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