ताज का शासन (1858
-1909)
1858 का भारत शासन
अधिनियम
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1861 का भारत परिषद
अधिनियम
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1892 का भारत परिषद
अधिनियम
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1909 का भारत परिषद
अधिनियम
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1857 के विद्रोह
के बाद
-भारत के शासन को
अच्छा बनाने वाला अधिनियम नाम से प्रसिद्ध
कंपनी की समाप्ति
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भारतीयों को शासन
में शामिल करने की शुरुआत की गयी
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यह अधिनियम कांगेस की स्थापना के पश्चात उसकी मांगो को ध्यान में रखकर बनाया गया था।
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इसे मार्लें-मिन्टो सुधार के नाम से भी जाना जाता है जो कि बंगाल विभाजन के बाद लाया गया
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शासन महारानी के
अधीन
वायसराय ब्रिटिश
शासन का प्रत्यक्ष प्रतिनिधि बनाया गया
लार्ड कैनिंग प्रथम वायसराय
द्वैध शासन की समाप्ति
ब्रिटिश केबिनेट
के सदस्य के रूप में भारत के राज्य सचिव पद का सृजन
भारत सचिव की अध्यक्षता
में 15 सदस्यीय सलाहकार परिषद का गठन
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वायसराय भारतीयों
तो गैर सरकारी सदस्यो के रूप मे नामांकित कर सकता था
1862 मे कैनिंग द्वारा
तीन सदस्यों को नियुक्त किया गया
बंम्बई व मद्रास
गवर्नरो की विधायी शक्तियो की वापसी के साथ विकेद्रीकरण की शुरुआत
प्रान्तो मे विधान
परिषदो का गठन, बंगाल-1862,उत्तर पश्चिमी सीमा प्रांन्त-1866,पंजाब-1897
वायसराय की शक्तियों
में वृद्धि
पोर्टफोलियों प्रणाली को मान्यता *
वायसराय को आपातकाल
में बिना परिषदके अध्यादेश जारी करने का अधिकार किन्तु छः माह के लिए वैध
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विधान परिषदो मे
अतिरिक्त गैर सरकारी सदस्यो की संख्या बढाई
बजट पर बहस व प्रश्न
पूछने व उत्तर देने के लिए अधिकृत किया
गैर सरकारी सदस्यो
का नामांकन का अधिकार वायसराय व गवर्नर को दिया गया
यह नामांकन स्थानीय
निकायो की शिफारिश पर किया जाना था
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केन्द्रीय व प्रान्तीय
विधान परिषदो के आकार मे वृद्धि की
केन्द्र में 16 से
बढाकर 60 किया
केन्द्रीय में सरकारी
बहुमत बनाये रखा किन्तु प्रान्तीय विधान परिषदो में गैर सरकारी बहुमत की अनुमति थी
अनुपूरक पेरश्न व
बजट पर संकल्प की शुरूआत
वायसराय व गवर्नर
की कार्यकारी परिषद मे एक भारतीय की नियुक्ति-सत्येन्द्र नाथ सिन्हा (विधि)
पृथक निर्वाचन के
आधार पर मुस्लिम सदस्यो का चुनाव केवल मुस्लिम मतदाता कर सकते थे
प्रेसिडेंसी, कामर्स
चैम्बर व जमींदारो को अलग प्रतिनिधित्व
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