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Friday, August 28, 2015

गंगा- पारिस्थितिकी, महत्व व स्वच्छता अभियान- भाग 1



सदियो पुरानी भारतीय परम्परा में गंगा का स्थान देवी, मॉ, व एक पवित्र नदी के रूप मे रहा है | गंगा प्राणदायिनी, मोक्षदायिनी तथा आस्था का प्रतीक है| इसी के ऑचल में प्राचीन भारतीय सभ्यता का विकास हुआ है| किन्तु समय के साथ बढते विकास कार्यो व मानवीय गतिविधियों के चलते आज जीवन दायिनी गंगा का ही अस्तित्व खतरे में है| आइए, गंगा के वर्तमान हालात पर नजर डालते है-

  • गंगा में प्रदूषण की स्थिति भयंकर हो चुकी है तथा यह विश्व की छठी सबसे प्रदूषित नदी है|
  • गंगा बेसिन मे प्रयुक्त होने वाले रासायनिक खादो व उर्वरको में से लगभग 5 प्रतिशत (1320 टन उर्वरक व 4.6 लाख टन खाद) गंगा में बह जाता है|
  • रोजाना लगभग 750 करोड लीटर अशोधित जल व 340 करोड लीटर विषैला स्त्राव (2011) गंगा में मिलता है|
  • बडे बांधो के निर्माण की वजह से गंगा का पानी मटमैला हो चुका है व इसमे गाद व कीचड़ भर गया है|
  • गंगा का पारिस्थितिकी संतुलन बिगड़ रहा है जिससे इसमे पाये जाने वाले कई जीव संकटापन्न, लुप्तप्राय व विलुप्त की श्रेणी में आ चुके है जैसे- डाल्फिन, घडियाल,जल मुर्गी, उदबिलाव आदि|
  • बैराजो के जल भराव क्षेत्रो मे बाढ़ व इनक निर्माण हेतु होने वाले विस्फोटो से भूकम्प व भूस्खलन में वृद्धि आई है|
  • नरोरा संयत्र से निकलने वाले रेडियेशन युक्त पानी से क्षेत्र के लोगो का स्वास्थ्य खतरे में है|
  • गंगा के अविरल प्रवाह के खत्म होने से भूमिगत जलस्तर भी घटता जा रहा है|

सरकार द्वारा गंगा के संरक्षण के प्रयास-

  • गंगा कार्य योजना (1985 से 2003 ) द्वारा दो चरणो में 3000 हजार करोड के व्यय के बाद केवल 25% कार्य पूरा
  • राष्ट्रीय गंगा बेसिन अथारिटी-2009 के अन्तर्गत गंगा को 2020 तक प्रदूषण मुक्त करने हेतु 16000 हजार करोड़ रूपये प्रस्तावित
  •  2014-15 के राष्ट्रीय बजट में 'नमामि गंगे 'परियोजना के अन्तर्गत 118 शहरो में जल शोधन व गंगा की सफाई हेतु 51000 हजार करोड खर्च करने का प्रस्ताव
इलाहाबाद से हल्दिया के बीच 1620 किलोमीटर के गंगा जलमार्ग  विकास परियोजना हेतु 4200 करोड रूपये प्रस्तावितहै| इसके फलस्वरूप रोजाना 1500 टन माल की ढुलाई हो सकेगी|

गंगा जल विकास परियोजना के संभावित दुष्प्रभाव-

आयाम----------------------नकारात्मक कारक

  • पारिस्थितिकीय--------जैव विविधता को खतरा

  • आर्थिक ---------------गाद बालू निकालने तथा रखरखाव मे काफी खर्च

  • प्राकृतिक आपदा------भूकम्प बाढ. विस्थापन व बिहार में ज्यादा बाढ़

  • मौसमी प्रवाह----------गर्मियों में पर्याप्त स्थिर पानी की अनुपलब्धता



गंगा संरक्षण से जुडे महत्वपूर्ण लोग व संस्थाएँ-
  1. तरूण भारत संघ व जल बिरादरी के प्रमुख राजेन्द्र सिंह
  2. 'यमुना जिये अभियान' के संयोजक मनोज मिश्र
  3. गंगा बचाओ किताब के लेखक व बनारस में अभियान से जुडे के. चन्द्रमौली
क्रमशः--------

1 comment:

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