पिछले भाग के आगे-
भूमिधारी- राज्य के किसी भी भाग में रहने वाला ऐसा व्यक्ति है जो लगान देता है अथवा जिसे करार के अभाव में लगान देना होगा, भूमि धारी की श्रेणी में आता
है।
भूमिहीन व्यक्ति- ऐसा व्यक्ति जो स्वयं अथवा समिलित पारिवार में किसी सदस्य के नाम से कोई भूमि धारण नही करता है लेकिन व्यवसाय के रुप में कृषि अथवा खुदकाश्त का कार्य करता है, भूमिहीन की श्रेणी में आता है।
नोट- यदि किसी व्यक्ति ने अपनी भूमि बेच दी हो तो उसे भूमि आंवटन के लिए भूमिहीन नहीं माना जाएगा।
अधिवासित भूमि-यदि किसी व्यक्ति को भूमि किराये पर दी गई हो तथा वह भूमि उसके कब्जे में हो तो उसे अधिवासित भूमि कहते है। इसके विपरीत बिना कब्जे की भूमि को अनअधिवासित भूमि माना जाता है।
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नोट- यदि भूमि पर अतिक्रमण द्वारा कब्जा किया जाता है, तो वह भूमि अधिवासित भूमि नहीं होगी।
गोचर भूमि-ऐसी भूमि जो पशुचारण के काम आती हो अथवा बन्दोबस्त अभिलेख में गोचर भूमि के रूप में दर्ज हो या राज्य द्वारा उपरोक्त प्रयोजन हेतु सुरक्षित रखी गई हो।
लगान- भूमि के उपयोग के बदले में राज्य को नकद अथवा उपज या दोनों के रूप में जो कुछ दिया जाता है उसे लगान कहते है। सायर भी इसी के अन्तर्गत सम्मिलित है।
नोट- सरकार को दी गई सेवा लगान के अन्तर्गत नहीं
मानी जाती है।
सायर- बिना कब्जे की (अनअधिवासित) भूमि से किसी भी प्रकार की उपज जैसे कि- ईंधन, फल,फूल, लकड़ी, वन उपज अथवा अन्य कोई वस्तु एकत्रित करने तथा सिंचाई साधनों के प्रयोग के बदले में भुगतान की गई राशि सायर के रूप में मानी जाती है।
बन्दोबस्त- लगान अथवा राजस्व की वसूली हेतु किया गया बन्दोबस्त।
अतिक्रमी- ऐसा व्यक्ति जो बिना उचित अधिकार के भूमि पर कब्जा करता है अथवा पट्टेधारी भूमि मालिक को कब्जा करने से रोकता है, अतिक्रमी कहलाता है।
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